कुल पृष्ठ दर्शन : 217

पापा,मुझे चमन दे दो

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

बंद पिंजरे बुलबुल पालो,
ओ,पापा मुझे चमन दे दो
पायल बिछिया नहीं चाहिए,
शाला जूती की रिबिन दे दो।

ज्ञान विज्ञान खेल कला की,
कुछ दिन ऊंचे नभ उड़ने दो
मेरे जीवन की कंकड़ को,
है समय यही मुझे चुनने दो।
आते नहीं लगाने मुझको,
खुद दम जियूँ वो रंग दे दो।
ओ पापा…

लोहे की जंजीर लगती मुझे,
पहनाओ ना चाँदी पायल
मेरे सपनों की हथकड़ी है,
सोने चूड़ी करती घायल।
तोड़ सके अन्यायी का मन,
पापा वो कड़े-कंगन दे दो।
ओ पापा…॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।