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प्रतिज्ञा

डाॅ. पूनम अरोरा
ऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)
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प्रतिज्ञा दिवस के अवसर पर,
आओ हम प्रतिज्ञा करें
अपने आपसे,
अपनी आत्मा से
आत्मा की आवाज सुनें,
आत्म सम्मान व
स्वाभिमान की उत्कृष्टता,
को बनाए रखें
अपने उसूलों में,
दृढ़ता लाएं
मन मस्तिष्क में,
शान्ति बनाएं।

प्रतिज्ञा करें,
भारतीय संस्कारों की
सुरक्षा की,
मानवीय मूल्यों
सांस्कृतिक मूल्यों का,
शिक्षा संस्थाओं में
विस्तार करें,
नयी पीढ़ी को
अपनी संस्कृति,
हस्तान्तरित करें
शिक्षा के माध्यम से,
संस्कारों की प्रगति करें।

आओ हम मिलकर,
कोरे आदर्श भगाएं
मानव मूल्य जगाएं,
बाल मन को
मूल्यों का पाठ पढ़ाएं,
हमारी हस्ती पर
जमी धुँधली,
धूल हटाएं।

प्रतिज्ञा करें,
वृक्षारोपण की
पेड़-पौधे,
ना काटने की
फूल-पत्तों को,
ना तोड़ने की
वनों की रक्षा की,
देश की समृद्धि
व खुशहाली की,
देश की
अखण्डता का,
एकता का
ज्ञानामृत पान करें,
अपनी रौशनी
खुद बनें।
अपना दीया,
खुद जलाएं॥

परिचय-उत्तराखण्ड के जिले ऊधम सिंह नगर में डॉ. पूनम अरोरा स्थाई रुप से बसी हुई हैं। इनका जन्म २२ अगस्त १९६७ को रुद्रपुर (ऊधम सिंह नगर) में हुआ है। शिक्षा- एम.ए.,एम.एड. एवं पीएच-डी.है। आप कार्यक्षेत्र में शिक्षिका हैं। इनकी लेखन विधा गद्य-पद्य(मुक्तक,संस्मरण,कहानी आदि)है। अभी तक शोध कार्य का प्रकाशन हुआ है। डॉ. अरोरा की दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक-खुशवंत सिंह,अमृता प्रीतम एवं हरिवंश राय बच्चन हैं। पिता को ही प्रेरणापुंज मानने वाली डॉ. पूनम की विशेषज्ञता-शिक्षण व प्रशिक्षण में है। इनका जीवन लक्ष्य-षड दर्शन पर किए शोध कार्य में से वैशेषिक दर्शन,न्याय दर्शन आदि की पुस्तक प्रकाशित करवाकर पुस्तकालयों में रखवाना है,ताकि वो भावी शोधपरक विद्यार्थियों के शोध कार्य में मार्गदर्शक बन सकें। कहानी,संस्मरण आदि रचनाओं से साहित्यिक समृद्धि कर समाजसेवा करना भी है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी भाषा हमारी राष्ट्र भाषा होने के साथ ही अभिव्यक्ति की सरल एवं सहज भाषा है,क्योंकि हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है। हिंदी एवं मातृ भाषा में भावों की अभिव्यक्ति में जो रस आता है, उसकी अनुभूति का अहसास बेहद सुखद होता है।