पतझड़ के पात

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* शाखाओं से विलग होकर भी मुस्कुरा रहे हैं,वियोग सहकर भी पावन प्रीत निभा रहे हैं।पतझड़ के पात हैं या प्रात-मुकुलित-फूल-झर-झर कर धरा का कण-कण सजा रहे हैं॥ दूर तलक स्व सौन्दर्य से प्रेम-पथ बना रहे हैं,प्रेमी हृदयों को सरस मूक निमन्त्रण दे रहे हैं।निराश हृदयों को प्रीत की भाषा सिखा … Read more