तुम केन्द्र,हम धुरी बन जाएँ…
देवश्री गोयलजगदलपुर-बस्तर(छग)********************************************** महिला दिवस स्पर्धा विशेष…… तरंगिनी-सी…बह रही हूँ मैं,तुम जल तरंग…बजाओ न…। विरहिणी-सी…जी रही हूँ मैं,तुम संग-संग…आ जाओ न…। मृगमरीचिका-सी…भटक रही हूँ मैं,तुम नेह नीर…बरसाओ न…। नवकोपल-सी…लहक रही हूँ,तुम वट वृक्ष बन…जाओ न…। आप्त सुर-सी…द्रवित हो रही हूँ,मन को मुस्काने को,राग मल्हार सुनाओ न…। विभीषिका-सी…धू-धू जलते मन की,ठंडक देती…हरीतिमा बन जाओ न…। माधव प्रिया … Read more