स्त्री का दर्द

रोशनी दीक्षित बिलासपुर(छत्तीसगढ़) ***************************************************************************** स्त्री हूँ,स्त्री का दर्द समझती हूँ, दिखती हूँ फूल-सी पर पाषाण-सा हृदय रखती हूँ, मरती है,जब यह कोख में मैं भी तड़पती हूँ, इसकी अंतिम साँस में मैं भी तो मरती हूँ। स्त्री हूँ,स्त्री का दर्द समझती हूँ… कहते हैं ये लुटेरे कपड़े छोटे हैं तेरे, साड़ी नहीं है पहननी तूने! … Read more