रोना-धोना छोड़ो भी
अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)*********************************************************** यारों अब ये रोना धोना छोड़ो भी।भरभर आँखें आँसू बोना छोड़ो भी। मनचाहा इंसाफ किसी को मिलता कब,इस पर बेमतलब का रोना छोड़ो भी। इक सीमा में बँधकर जीना ठीक नहीं,बातों बातों आपा खोना छोड़ो भी। दौरे बेचैनी का मतलब समझो कुछ,गाफिल होकर के अब सोना छोड़ो भी। तालीम … Read more