जिंदगी के नए पन्ने

खुशी सिंहमुंबई(महाराष्ट्र) **************************** मैं रुकी नहीं,थम सी गई हूँअपने सपनों से,सहम सी गई हूँ।डर लगता है,आगे बढ़ने सेफिर दो कदमपीछे हटने से।रास्ते के फूल,काँटे बन गए हैंअब हम बच्चे नहीं,बड़े हो गए हैं॥ हमारी जिंदगी की किताब के,नए पन्ने खुलने जा रहे हैंमेहनत की स्याही से,कुछ भरने जा रहे हैं।रास्ते के काँटों को चुभने दो,दो … Read more