फागुन आया
निशा निइ्क ‘ख्याति’ दिल्ली ******************************************************************** अब तो फागुन आया पिया इश्क़ का रंग लगा दे मुझे, अम्बिया पे चढ़ गये मंजर वो इश्क़ का जाम पी आया। क्यों इस क़दर तूने मुझे सताया क्यों इतना बेपरवाह दिखाया, जब जाती हूँ खेतों से अहरारी भी हँसती है। ले के फूल मोहबत के खुद पे इतराती है, … Read more