प्रेम है क्या ?

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से… प्रेम है क्या ?प्रेम मन मेंउठती तरंगों का नाम है,या किसी के लिएमधुर जज़्बातों का नाम,किसी के साथजीने-मरने का,कसम खाने का नामया किसी के लिए…जान दे देना ही प्रेम है।प्रेम को कौन,समझ सका हैआखिर प्रेम है क्या ?मेरे विचार से,प्रेम वह अनुभूति हैजो हमें,एहसास … Read more

सार्थक दिवाली

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** ऐ दीप तुम जलते रहना,बुझने का नाम न लेना।मंजिल मिले न जब तक,कदम कदम पर साथ देना॥ जब तक रहेगा साथ तुम्हारा,लूंगी मैं कभी आराम नहीं।बढ़ती रहूँगी मैं आगे सदा,मेरा तो अब है निश्चय यही॥ तुम्हारी आस पे निकली हूँ,मैं मंजिल की खोज में।साथ तू छोड़ न जाना,वरना बिखर जाऊँगी … Read more

हम और तुम

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** मैं,और तुमअब हैं हम।हम शब्द,एहसास दिलाता हैदो व्यक्तियों के लिएसमाज,परिवारऔर देश के लिए।आज देश को,जरूरत है हम बनेंहम कोशिश करें,मैं रहकर हम बनने की।साथ होकर,एक हुए हमेशाकामयाब हुए,क्योंकिएकता में शक्ति होती है।ऐसा पढ़ा,देखा,सीखा हमने,तो आइए आज हमसाथ न होकर भीसाथ निभाएं अपनों का।देश के प्रति,अपनी जिम्मेदारी निभाएंयही तो प्रेम है।देशप्रेम,जिसने … Read more

बेटियाँ होती हैं किताब की तरह

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** बेटियाँ होती हैं किताब की तरह, माँ कहती है हो हिसाब की तरह। अब उसे उड़ने दो आसमान में, चमकेगी वह आफताब की तरह। तम से निकलकर उजाले की ओर, बादलों से निकल माहताब की तरह। रोको नहीं,नदी बनकर बहने दो, भावनाएँ बहेगी सैलाब की तरह। कठिन सवाल जीवन का … Read more

हमें सतर्क करती हैं आपदाएं

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. रंगों की, अलग भाषा होती है, जब कागज पर उकेरे जाएं तो, चित्रकारी जब प्रकृति रंग उकेरे, तो बन जाए इन्द्रधनुषl छा जाए हरियाली, पर हम वनों का विनाश, कर रहे हैंl तब आपदाएं हमें सतर्क करती हैं, कभी सूखा कभी बाढ़ के रूप में, … Read more

बड़ा दिन आया है

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** ‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा  विशेष……… बड़ा दिन आया है, खुशियाँ संग लाया है। बड़े दिन की छुट्टी में, बच्चे हैं खुशी मनाते। मम्मी केक बनाती, बच्चे खुश हो जाते। सांता का इंतजार, सपनों में वह करते। बड़ा दिन आया है, खुशियाँ संग लाया है॥ क्या मिलेगा उपहार! मन ही … Read more

गाँव की सैर

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** एक बार हम चले करने गाँव की सैर, आपस में सब मिल रहे नहीं किसी से बैरl हरियाली-हरियाली दिखती चहुँ ओर, गाड़ी मोटर की नहीं आता कोई शोरl घर की छत से दिखते हैं अदभुत नजारे, पास बुलाती हैं हमको बाँहें फैला बहारेंl सब-कुछ अच्छा है वहाँ हुआ बहुत विकास, … Read more

हे चंदा मामा! फिर आएंगे

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** सफेद उज्जवल चाँदनी, लगे आसमान के मोती नन्हा बालक देखता तुझे, उसे पता है कल फिर आएंगेl प्यारे-प्यारे चंदा मामा, तेरी परछाई दिखे पानी में दुआ मेरी है चमकता रहे तू, काले बदरा भी घिर आएंगेl रात का घनघोर साया, आकाश में चाँद जगमगाया प्यारी छवि तेरी न्यारी छाया, गोल … Read more

कृष्ण जन्माष्टमी

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. रात अंधेरी बहुत खुली बेड़ियाँ पाई, धन्य वासुदेव देवकी जन्म लिए कृष्ण कन्हाई। घटा घनघोर बरसती जाए, यमुना का जल बढ़ता जाए। वासुदेव गोकुल में आए सबको वहाँ सोता पाए, यशोदा के पास कृष्ण माया को संग ले आए। नन्द के घर आनन्द यशोदा को परम … Read more

संचय

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** संवादहीनता बढ़ रही है, बिखर रहे मानवीय मूल्य, करना होगा क्षमताओं का संचय, अनमोल है मानव मूल्य मुझे मानव ही रहने दो, जो मानवता के गुण से परिपूर्ण हो, देह है क्षणभंगुर व्यापकता को अपनाओ, याद रहेंगे सबके स्मरण में यही मानवीय गुण, संचय करो अपने अंदर मानवीय मूल्यों को, … Read more