ख़्वाब
राजेश मेहरोत्रा ‘राज़’लखनऊ(उत्तरप्रदेश)*************************** काव्य संग्रह हम और तुम से ए काश ! तेरी जुल्फ़ें महकी हो हल्की-हल्की।मध्यम-सी रोशनी में हो चाल बहकी-बहकी। सागर से गहरी आँखें उसपे घटा का काजल,झीना-सा तेरे तन पर लिपटा हवा का आँचल। फूलों से भी हो महका खिलता बदन ये तेरा,हो शोखियाँ कुछ ऐसी जूं खिलता हुआ सवेरा। हो सादगी … Read more