हे माधव
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************************************** (रचनाशिल्प:१६/१३) भीड़ भरी इस दुनिया में अब,जीना हुआ हराम है।हे माधव अब पार लगाना,तुमसे ही अब काम है॥ नहीं सहारा दिखता मुझको,एक तुम्हीं पर आस है।आओगे इक दिन मेरे घर,पूरा ही विश्वास है॥हे गोपाला चरणों में अब,बारम्बार प्रणाम है।भीड़ भरी इस दुनिया में…। बिलख रहे हैं शिशु सुत तेरे,दर-दर ठोकर … Read more