मेरे प्रियवर
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************************************** (रचना शिल्प:१६/१४) नेह नयन की आशाओं में,प्रिय तुमको ही पाती हूँ।लहराकर आँचल को अपने,गीत खुशी के गाती हूँll हर पल साँसों रहे समाए,नींद चुराई रातों की।चैन उड़ाकर दी सौगातें,मीठी-मीठी बातों कीllआशाओं के इस आँगन में,झूम-झूम इठलाती हूँ।लहराकर आँचल को…। प्यार मिला अरमान खिलें हैं,सपनों की इन राहों में।मिले उम्रभर मुझे … Read more