न दें हमें हारने
डॉ. सुरेश जी. पत्तार ‘सौरभबागलकोट (कर्नाटक) ********************************************************************** ‘करोना’ का कहर है,यह चीनी जहर है,संसार इसका घर,टूट रहे सपने। गाँव शहर हैं बंद,छीन लिया आनंद,पेट को न आटा-रोटी,हँसी भूले हम। सती पति इस बार,कर रहे तुलाभार।मैं-मैं,तू-तू कर,लगे हैं झगड़ने। घर पर आहाकार,करोना कृत्य विकार,बेलन खाकर सिंह,सीखे झाडू पोंछने। शांति-क्रांति सब भ्रांति,निकाल दिए विभ्रांति,सरस विरस मिलें तो समरसी … Read more