उषा बेला
डॉ.साधना तोमर बागपत(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** उषाकाल में प्रकृति रानी, दुल्हन बन कर आयी है। रंग-बिरंगे पुष्पों से सजी, धानी चुनर लायी है। प्राची से स्वर्णिम किरणें ये, लुका-छिपी खेल रही। झाँक झरोखे से तरुवर के, मानो कर अठखेली रही। स्वर्णिम सरसिज सजा सरोवर, आभा कितनी प्यारी है। चित्रकार है कौन अनूठा, कला शिल्प की न्यारी … Read more