अब छोड़ निराशा
ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** रचना शिल्प-१४ मात्रा ३ चौकल + २… हताश निराश बैठा क्यों,कंटक कटेगा धीर’ न खो’जीवन प्रसून खिलने दो,किसलय सुगंधि मिलने दो! बहार आने वाली है,छँटती बदली काली है,हँसते मुखड़े दिखने दो,शुभ-शुभ मुझको लिखने दो! खट्टे-मीठे कडुए पल,आते-जाते रहते कलधरती कीचड़ मिटने दो,बीती बिसार बिकने दो! आओ साथी मिलजुल लें,सोचें अच्छे बिलकुल मेंसच्ची भावना … Read more