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अब छोड़ निराशा

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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रचना शिल्प-१४ मात्रा ३ चौकल + २…

हताश निराश बैठा क्यों,
कंटक कटेगा धीर’ न खो’
जीवन प्रसून खिलने दो,
किसलय सुगंधि मिलने दो!

बहार आने वाली है,
छँटती बदली काली है,
हँसते मुखड़े दिखने दो,
शुभ-शुभ मुझको लिखने दो!

खट्टे-मीठे कडुए पल,
आते-जाते रहते कल
धरती कीचड़ मिटने दो,
बीती बिसार बिकने दो!

आओ साथी मिलजुल लें,
सोचें अच्छे बिलकुल में
सच्ची भावना टिकने दो,
खाली गगरी भरने दो।

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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