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राह पथरीली बहुत थी,फिर भी हम चलते रहे–प्रो. खरे

कवि गोष्ठी

मंडला(मप्र)।

डॉ. रामनिवास ‘इंडिया’ की अध्यक्षता,डॉ. राजीव पांडेय के मुख्य आतिथ्य व डॉ.रामप्रकाश’ पथिक’ के विशिष्ट आतिथ्य में अखिल भारतीय साहित्य सदन (दिल्ली) की ऑनलाइन कवि गोष्ठी हुई।इसमें सुपरिचित कवि प्रो.शरद नारायण खरे की ग़ज़ल-‘राह पथरीली बहुत थी फिर भी हम चलते रहे…’ को ज़बरदस्त सराहना मिली।
जानकारी के अनुसार इस गोष्ठी का सरस संचालन कुसुम लता ‘कुसुम’ ने किया। अन्य प्रमुख कवि-मोनिका शर्मा ‘मन’,डॉ. नीलम खरे,भगत सिंह राणा ‘हिमाद’ व भावना गौड़ रहे।
डॉ.नीलम खरे का प्रेमगीत भी बेहद सराहा गया-‘जीवन में वरदान प्रेम है,है उजली इक आशा। अंतर्मन में नेह समाया,नहीं देह की भाषा।’ कवि प्रो. खरे की ग़ज़ल को ज़बरदस्त सराहना मिली-‘राह पथरीली बहुत थी फिर भी हम चलते रहे,मन में मंज़िल के लिए अरमां सदा पलते रहे। बन न पाये भास्कर,तो भी न हम मायूस हैं,दीप बनकर रोशनी के हित में तो,जलते रहे।’
अन्य कवियों को भी ख़ूब सराहना मिली।डॉ. रामनिवास ने आभार प्रदर्शन किया।

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