कुल पृष्ठ दर्शन : 322

You are currently viewing जाते वक्त की बेला…

जाते वक्त की बेला…

डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
*************************************************

जाते-जाते ये साल,
हमारी झोली भर गया
धूप-छाँव की चादर से,
आँख-मिचौनी कर गया।

खुशियों की बारिश,
अपनों का प्यार
रिश्तों की गर्माहट,
दोस्तों की सौगात।

हँसी-खुशी के मेले से,
सबके हिस्से में कुछ
सुख और आनंद के पल,
देखो कैसे बाँट गया।

इस जाते वक्त की बेला को,
बिदाई दे कर जोड़ कर हम
आभार करें ईश्वर का जिसने हमें,
खुशियों से भरा ये सुंदर वर्ष दिया।

हर एक इंसान का शुक्रिया,
जिसने मुझे पहचान दी
अच्छाई और बुराई का,
एहसास तो दिला गया।

प्यार के दो मीठे बोल,
ढेर सारा सम्मान दिया
दोस्तों ने दोस्ती का जो अम्बार दिया,
चेहरे और दिल को खिला दिया।

जीवन के इस मधुर सफ़र में,
बीते लम्हों के हर तोहफ़े में
तुमने कड़कती सर्दियों में भी,
गर्मजोशी से भरा संसार दिया।

जीवन की इस कठिन डगर में,
मैं तुम्हें क्या दे सकती हूँ।
याद रहूं जीवन के पथ पर,
बस एक यादगार दे सकती हूँ॥

परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।