लीना खेरिया
अहमदाबा(गुजरात)
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अक्सर,
लगता है मुझे कि
मैं हूँ श्रापित अहिल्या-सी,
जो मानो सदियों से
ना जाने किसकी भूल के,
परिणामस्वरूप
हो गई हूँ पूर्णतः
पाषाण…।
संग मेरे,
धीरे-धीरे एक-एक कर
पत्थर हो गए,
हृदय के गर्भगृह में स्थापित
अपने व अपनत्व के सभी भाव,
जड़ हो गई वेदना भी
सभी संवेदनाएँ भी,
और पथरा गया
पलकों के कोरों पर ठहरा,
वो नन्हा-सा
अश्रु भी…।
सोचती हूँ मैं,
हर पल अविरल
क्या कभी आएंगे कोई राम!
जिनके स्पर्श से,
जी उठूँगी मैं
फिर से…॥
परिचय-लीना मित्तल खेरिया का बसेरा बोड़कदेव,अहमदाबाद(गुजरात)है। ६ जुलाई १९७२ को कानपुर(उप्र)में जन्मीं लीना मित्तल का स्थाई निवास अहमदाबाद ही है। आपको हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। जिला अहमदाबाद निवासी लीना मित्तल ने बी. कॉम. और एम.बी.ए. की शिक्षा प्राप्त की है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत ‘हरी-भरी वसुंधरा’ संस्था से जुड़ी हैं। इनकी लेखन विधा-गीत,गज़ल और कविता है। ‘डायरेक्ट दिल से'(काव्य संग्रह)सहित अनेक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हैं। आप ब्लॉग एवं अन्य सामाजिक माध्यम पर भी सक्रिय हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-प्राईड ऑफ विमेन अवार्ड,स्टार डायमंड अचीवर्स अवार्ड और अटल साहित्य गौरव सम्मान सहित शहीद स्मृति सम्मान व मातृभूमि सम्मान आदि है। लीना जी की लेखनी का उद्देश्य-मन के भावों को साझा करना व सामाजिक विषयों पर लिखना है। गुलजा़र को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली लीना मित्तल के लिए प्रेरणापुंज-पिता हैं। जीवन लक्ष्य-उत्तम साहित्य लेखन है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी हमारी मातृभाषा है,व हमें उसका सम्मान करना चाहिए।”