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जिसमें ज्वाला न हो

निशा ‘सिम्मी’
साहिबगंज (झारखण्ड)
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वह ज़मीं भी हैं क्या,
जिसमें ज्वाला न हो
वह पर्वत भी हैं क्या,
जिसमें नज़ारा न हो।

वह फ़िज़ा भी क्या,
जिसमें इशारा न हो
वह बिजली भी क्या,
जिसमें शरारा न हो।

वह नदी भी हैं क्या,
जिसमें बहती धारा न हो
वह आसमां भी क्या,
जो नीला-नीला न हो।

वह बादल भी हैं क्या,
जो रंग-रंगीला न हो
वह सितारा भी क्या,
जहां कहकशाँ न हो।

वह वक़्त भी हैं क्या,
जो हमारा ही न हो
वह जिन्दगी भी क्या,
जो हमें गवारा न हो।

वह मेहनत भी क्या,
जिसमें गुज़ारा न हो।
वह गुलिस्तान भी क्या,
जहाँ कोई सहारा न हो॥

परिचय-एस. निशा का वर्तमान निवास झारखण्ड राज्य के जिला साहिबगंज (अनुमंडल) में है। साहित्यिक उपनाम ‘सिम्मी’ इनकी पहचान है। जमशेदपुर (झारखण्ड) में जन्मी निशा ‘सिम्मी’ का स्थाई बसेरा जिला छिन्दवाड़ा,तहःपरासिया(मप्र) है। आपको हिंदी,उर्दू,बंगाली, संथाली एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। शिक्षा-बी.ए. (प्रतिष्ठा)है। नौकरी में कार्यरत निशा ‘सिम्मी’ सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत महिला कल्याण सम्बन्धी कार्यों में सक्रिय रहती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता, ग़ज़ल,गीत कहानी तथा बाल कविता-गीत है। रचनाएँ सांझा काव्य संग्रह (नीलाम्बरा,बिहार की ७ कवियित्रियां,माँ मेरा पहला प्यार,प्यार का पागलपन एवं शहीद आदि)एवं मोबाइल सांझा एप पर प्रकाशित हुई हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाओं को स्थान मिला है। लेखनी के लिए सम्मान की बात हो तो विश्व हिन्दी लेखिका मंच सहित लक्ष्मीबाई मेमोरियल अवार्ड,शहीद रत्न सम्मान,श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान,नारी रत्न सम्मान,मातृभूमि सम्मान,महादेवी वर्मा सम्मान एवं मातृ रत्न अलंकार सम्मान(छग) आदि आपको मिले हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-तृतीय झारखण्ड खेल एवं सांस्कृतिक महोत्सव में उत्कृष्ट कार्य हेतु तथा अकिल बत्ती दुमका (झारखण्ड) से ‘जागो बहना’ उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रमाण-पत्र मिलना है। एस. निशा के पसंदीदा लेखक-मुंशी प्रेमचंद,अटल बिहारी वाजपेयी,रवींद्रनाथ टैगोर,मोहम्मद इक़बाल, ग़ालिब,महादेवी वर्मा और सुभद्रा कुमारी चौहान हैं। जीवन लक्ष्य-प्रगति की ओर है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति विचार -‘सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा’ है।

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