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दर्द पिता का जाने कौन ?

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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दर्द को दबाना और उमड़ते अश्रुओं को छुपा जाना
वो चला जा रहा दूर राम और दशरथ का चला जाना,
सुना होगा धोखे से कर दिया पुत्र अभिमन्यु का संहार-
पिता अर्जुन को लगा होगा,अपने जीने पर धिक्कार।
सिद्धार्थ ने कब सोचा होगा कि उनके दिल का टुकड़ा
महावीर उसे दुखी कर,मिटाने चला जग का दुखड़ा,
वासुदेव के आँसूओं ने ला दी बाढ़ नदी पार करने में-
कलेजा छलनी हो गया होगा कान्हा को दूर करने में।
नेत्रहीन था,पर आँखों से पुत्र मोह खुब दिखता था
कौरव संतान के भले के लिए,असहाय हो रोता था,
शहीद हुआ है जब जवान बेटा,सरहद पर वतन पर-
टूट गया पिता पर खड़ा हो गया शहादत पर तन कर।
ये वह पिता हैं जो रह गए हैं अपने हर दु:ख में मौन,
इतिहास भी खामोश रहा,दर्द पिता का जाने कौन॥

पिता तो घर-परिवार-बाग का अकेला एक माली है
उसके जिम्मे ही गुलशन को रौशन की जिम्मेवारी है,
उसके चेहरे पर जो भी चिंता की सलवटें दिखती हैं-
क्योंकि,उसके सीने में सभी के अरमान ही पलते हैं।
वो जानता है कि उसे भरी धूप में,खड़ा ही होना है
तभी तो उस छाँव में,हर पौध को खूब पनपना है ,
उसे पता है कि उसके खुद के,उसके सपने हैं नहीं-
उसकी दुनिया है जहाँ,खड़े उसके अपने हैं वहीं।
जज्ब किए आँसू और रोक लेता है वह जज्बात
परिवार की मुस्कान में, भूलता तकलीफ की बात,
जिंदगी बिताता है पूरी करने को,औलाद की आरजू-
हो गया खुद से ही लावारिस-सा खो गई जुस्तजू।
परिवार की हर बात में वो हाशिए पे हो गया गौण,
सुख-दु:ख एकाकार हुए,दर्द पिता का जाने कौन॥

परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

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