डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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ढलती उम्र की दस्तक
धीमे से आई है,
कर्मठ जीवन में
थोड़ी रुकावट लाई है।
एक लंबे अरसे से
कर्म की व्यस्तता के बीच,
कठिन डगर से गुजरने में
कभी न हार मानी थी।
क्या पता था कि
ज़िंदगी इस कदर रूलाएगी,
उम्र के इस मोड़ पर
अपना रंग दिखाएगी।
लोग कहते हैं कि
उम्र तो एक अंक है,
बात सही है और मान लेना जरूरी है,
कि हर उम्र का एक तकाज़ा होता है।
जीवन की इस ढलती शाम को,
अंगीकार करने में ही भलाई है।
ज़िंदगी के इस सत्य को आलिंगन कर,
सावधानी बरतने की जरूरत है॥