सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
**********************************
मुस्कानों के फूल खिला कर
नगरी एक बसाई तुमने,
घर-आँगन में बजी बधाई
लिख ली एक कहानी तुमने।
बनी नायिका महि पग रखती
नेह-सुधा रस गान किया,
बजती पायल की रुनझुन ने
जीवन को सुर-ताल दिया।
प्रेम का बिरवा हृदय लगाया
अतुल प्रेम-धन खूब लुटाया,
सच मानों तो साझा जीवन
प्रेम विहीन न किसी को भाया।
सदा समर्पण प्रेम में करना,
एक-दूजे के लिए ही जीना।
रिश्ते सभी निभाना मिल-जुल,
स्नेह, प्रेम, करुणा बरसाना॥
