भोपाल (मप्र)।
अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की मध्य प्रदेश इकाई की नवंबर मास की काव्य चौपाल की बैठक २३ नवंबर को की गई। यह चौपाल अत्यंत खास थी, क्योंकि संगठन की अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव के जन्मदिन का अवसर था। इस सुअवसर पर गोष्ठी में कविताओं, ग़ज़लों और गीतों ने अपने विविध रंगों की खुशबू बिखेरी।
साहित्यकार संतोष श्रीवास्तव के आवास पर एकत्रित कवि- कवयित्रियों ने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं के पाठ से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। लघुकथा शोध केन्द्र की अध्यक्ष कांता राॅय ने कविताओं के पाठ और विद्यापति रचित मैथिली विदाई गीत के गायन से सबका मन द्रवित कर दिया। उनकी कविताओं की पंक्तियाँ- ‘औरत पत्थर नहीं होती है, वह मोम-सी संवेदनाओं के सूत को धारण किए रहती है’ विचार योग्य रही। घनश्याम मैथिल ने अपनी व्यंग्य कविता का पाठ किया-‘केवल कोरे वादे हैं, अंदर और इरादे हैं, वे शतरंजी राजा हैं, हम तो केवल प्यादे हैं।’
वरिष्ठ साहित्यकार एवं संस्था के महासचिव मुज्फफर इकबाल सिद्दीकी ने भी ग़ज़ल ‘किसे तुम सुनाओगे अपना फ़साना, ज़माना सुनेगा, न कोई फ़साना’ से समां बाँधा। मंत्री जया केतकी ने कविता ‘जब तुम जन्मी होगी, खुशियाँ छाईं होंगी अपार…’ से सबका मन मोह लिया। मनोरमा पंत, डॉ. क्षमा पांडेय, जया आर्या आदि ने भी पाठ किया। संतोष श्रीवास्तव की ग़ज़ल ने खूब समां बांधा ‘रुक गई मैं चढ़ाई देखकर,
चीटियों को देखती हूँ चीटियां चढ़ती रहीं।’
मंच की मध्य प्रदेश इकाई की अध्यक्ष शैफालिका श्रीवास्तव की कविता ‘देवदूत’, संस्था की मध्य प्रदेश इकाई की निदेशक महिमा श्रीवास्तव और मीडिया प्रभारी रानी सुमिता की स्त्री विमर्श की कविता को भी सबने बहुत पसंद किया। कार्यक्रम में साहित्यकारों
, पाठकों और श्रोताओं की उपस्थिति उत्साहवर्धक रही। श्रोताओं के तौर पर भोपाल के डॉ. दिलीप शर्मा, मुंबई की अवकाश प्राप्त आकाशवाणी उदघोषिका चारुबाला खरे, साहित्यकार विजयकांत वर्मा, प्रियंका श्रीवास्तव, अंजना छलोत्रे और सुशीला जी की गरिमामयी उपस्थिति रही।
