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जीवन का मतलब आना और जाना

राधा गोयल
नई दिल्ली
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इस तन का अभिमान न करना, यहीं पड़ा रह जाएगा,
माटी का यह चोला तेरा, माटी में मिल जाएगा।

चाहे राम हो चाहे श्रीकृष्ण, नर रूप में जन्मे थे,
दोनों ने अपने जीवन में लाखों कष्ट सहे थे
श्रीकृष्ण को जीवन में बेहद अपमान मिला,
रणछोड़ और रसिया तक उनको कहा गया
कितने ही कष्ट सहे, विचलित नहीं कभी हुए
कर्तव्य पूर्ण करके, इहलोक से चले गये
नर हो या नारायण, सबको ही जाना है।
जीवन का मतलब तो आना और जाना है…।

कितने ही यहाँ आए, आए और चले गये,
कुछ ऐसे भी आये, जो झंडे गाड़ गये
कुर्बानी जान की दी, कितने ही सपूतों ने,
हँस-हँस कर शीश कटाए, लाखों ही सपूतों ने
माटी के लिए जिये, माटी के लिये मरे,
आजाद वतन करने को, अनगिन सितम सहे
मालूम था उनको, कि एक दिन मिट जाना है,
जीवन का मतलब तो आना और जाना है…।

मानव जीवन पाया, क्यों इसको व्यर्थ करें,
मानव के हित के लिए कुछ अच्छे कर्म करें
मान और अपमान की चिंता नहीं करें,
नेक कर्म करके मानव जीवन को धन्य करें
मानवता की खातिर कुछ करना ही होगा,
दुनिया को बचाने को विष पीना ही होगा।
मानवता हित हमको निज फर्ज़ निभाना है,
जीवन का मतलब तो आना और जाना है…॥