हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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‘पिता का प्रेम, पसीना और हम’ स्पर्धा विशेष…..

पिता का प्रेम-पसीना और हम भाई,बहन,माता।
दिलों में प्यार सजा रखते तो परिवार भी निखर जाता॥
पिता का प्रेम…
मिली तकदीर भली जिससे लगे हर जिन्दगी न्यारी,
करें भगवान दया हम पर लगे सबको बड़ी प्यारी।
घड़ी होती अगर मुश्किल तो सबका साथ बन जाता
सभी में वक्त बँटे पल-पल ये बँटकर खुद गुजर जाता॥
पिता का प्रेम…
सभी कहते हैं यहाँ किसने भला भगवान को देखा,
न पहचाने जो पिता-माता तो क्या उसने यहाँ देखा।
यहीं कुदरत है यहीं किस्मत,कदर इनकी नहीं होती,
नहीं कोई भी बिना ही कद्र धरती में ठहर जाता॥
पिता का प्रेम…
हमारे प्यार की गहराई है सागर-सी बनी दिल में,
कहाँ मिलता है सभी पूछें,लिए आते जो महफिल में।
बता सकते न सभी को पर दिखा देते जरूरत पर,
बने माहौल दिलों में जो मुहब्बत की लहर लाता॥
पिता का प्रेम…
परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।