अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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माँ और हम (मातृ दिवस विशेष)…
‘माँ’,
अनुपम आलोक
प्रतीक ईश्वर का,
खजाना अनमोल
सम्भालना।
‘माँ’,
मंदिर मूरत
ममता मंज़िल मार्गदर्शी,
ममत्व माफ़ी
मनुहार।
‘माँ’,
मन मधुरता
मानवता मन मोहन,
मुग्ध माध्यम
मधु।
‘माँ’,
मातृ शक्ति
बचपन में दुलार,
सब सहती
मौन।
‘माँ’,
श्रेष्ठ शिक्षक
सिखाती सदा दुनियादारी,
बचाती संकट
ढाल।
‘माँ’,
संतान परछाई
सारी बला लेती,
खुशियाँ देती
संस्कार।
‘माँ’,
प्रेम अपेक्षा
कुछ ना मांगती,
गम बहुत
बोझ।
‘माँ’,
मेरी छाँव
जीवन धूप मेरी,
बिन इसके
जिंदगी ?
‘माँ’,
जग धुरी
हर रंग-ढंग,
परी, हुनर
रौशनी।
‘माँ’,
आसमां-धरा
घमंड से दूर,
प्रेम भरपूर
तीरथ।
‘माँ’,
सेवा करना
दु:ख नहीं देना।
मिलेगा पुण्य,
ईश्वर॥