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शरद सुहानी सूरज आभा

सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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शरद सुहानी, सूरज आभा,
ललित मनभावन ‘अंशु’ आभा
रोज सवेरे महकी आभा,
मानस पटल उमंगित आभा।

जागो प्रतिदिन सुबह-सवेरे,
शीत हिलोर मर्ज़ वात घेरे
रुखसार, मन हरि भक्ति घेरे,
उज्जवल प्रभा शिखर सवेरे।

देखूं जब भी शिखर सवेरे,
स्वर्णिम रविजात फ़ैल सवेरे
प्राण चराचर ठिठुरन घेरे,
दीप्त तप्त अंचल सर्वत्र घेरे।

चटक वर्ण पीत झर-झर जाए,
दरख्त रिक्त, बिन पत्ते जाए
दल-दल पतझड़ चुपके जाए,
फैल हवा, निशि, सुधि, कष्ट पाए।

विशुद्ध उजला फलक नभ होए,
नक्षत्र, शशि शीतलता समाए
रजनी सौम्य निहार नहाए,
शीतल विहान विलम्ब जाए।

फैली तलक सुदूर अपारा,
उकेर, चित्र अम्बार अपारा
सम्भ्रांत सभ्य सुश्री जय कारा,
दृश, निश्छल निस्पृह श्री हरि दारा।

शरद दुपहरी अति अनुरागी,
घाम सुकून हुलास परागी
सुखद चित्त, आतप अनुरागी,
ढलती घाम लगे दुखियारी।

उष्ण पेय है भरपूर लेना,
ठंडी प्रकृति पदार्थ न लेना।
पोषक आहार सदा लेना,
व्यायाम, योग नित्य अपनाना॥

परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।