मानसी श्रीवास्तव ‘शिवन्या’
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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रंग बरसे… (होली विशेष)…
यह बेला है रंगों की,
जिसमें है साथी-संगी।
पकवान हैं मीठे-मीठे,
जिसे खाने में सभी जुटे।
त्योहार है यह बहार की,
फागुन में बरसती फुहार की।
लाल-हरा-पीला-गुलाबी,
अनगिनत हैं कितने रंग यहाँ भी।
अच्छाई की जीत का,
यह अलग एक जश्न है।
बुराई को है त्यागना,
जिसका यह एक संदेश है।
जब सात रंगों की यह दुनिया है,
तो रंगों में क्यों भेद करें ?
आपस में मिलकर रहना है,
इस मार्ग पर सभी चलें।
हर रंग की अपनी एक कहानी है,
तभी तो होली सात रंगों की निशानी है।
प्रेम बाँटना उद्देश्य है इस त्योहार का,
मानव का जीवन है परोपकार का।
खुशियों से सब रहें सदाबहार,
ऐसा ही है यह सात रंगों का त्योहार॥