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इक्कीसवीं सदी की नारी है वो

गोलू सिंह
रोहतास(बिहार)
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अब शाम ढले घर में नहीं बैठती है वो,
अब दुपट्टे से अपने चेहरे को नहीं ढकती है वो।
अब भय मुक्त है,
अधिकार युक्त हैl
क्योंकि,इक्कीसवीं सदी की नारी है वोll

स्वतंत्र उसके विचार हैं,
पंखों को पसार उड़ान भरती है वो।
उसका मन चंचल है,इच्छा अमिट है,
पानी के पुल पर भी चलती है वोll
क्योंकि, इक्कीसवीं सदी की नारी है वोll

कर में कलम उसकी शोभा बढ़ाती है,
कर मैं शस्त्र उसका साहस दिखलाता है।
वो घर भी है,शहर भी है,
समर्पण को अर्पित मूर्ति है वो।
क्योंकि, इक्कीसवीं सदी की नारी है वोll

फिर भी मन तुक्ष है,अब भी अभिशाप युक्त है,
दहेज के आगोश में आज भी वो प्रयुक्त है,
दो घरों को प्रदीप्त करने वाली प्रकाश की जोत है वो,
भविष्य उसका है,भावनाओं से ओत-प्रोत है वोl
क्योंकि,इक्कीसवीं सदी की नारी है वोll

एक विशाल हृदय है,
मुख पर आनंद का मंडल झलकता है उसके।
उसके पग थकते नहीं कभी,
निरन्तर गतिमान रहती है वो अपनी धुन में।
आधुनिक प्रगति में क्रांति है वो।
वो नारी है,
हाँ,इक्कीसवीं सदी की नारी है वोll

परिचय-गोलू सिंह का जन्म १६ जनवरी १९९९ को मेदनीपुर में हुआ है। इनका उपनाम-गोलू एनजीथ्री है।lनिवास मेदनीपुर,जिला-रोहतास(बिहार) में है। यह हिंदी भाषा जानते हैं। बिहार निवासी श्री सिंह वर्तमान में कला विषय से स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। इनकी लेखन विधा-कविता ही है। लेखनी का मकसद समाज-देश में परिवर्तन लाना है। इनके पसंदीदा कवि-रामधारी सिंह `दिनकर` और प्रेरणा पुंज स्वामी विवेकानंद जी हैं।