ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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इश्क में इल्जाम बड़ा,
भारी है
शायद मेरे जनाजे की,
तैयारी है।
गुनाह-सा हो गया है अब,
इश्क करना
कमबख्त हर तरफ यहां,
लाचारी है।
कोई पैसों से इश्क करता है,
कोई रिश्तों से
हमने तो पाली भी अजीब,
बीमारी है।
बे-वजह घूमता फिरता हूँ,
रातों में
आँखों में नशें की छाईं,
खुमारी है।
शतरंज का खेल हो गया है,
जीवन मेरा।
हर तरफ शोला और,
चिंगारी है॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।