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ईश्वर सत्य

संदीप धीमान 
चमोली (उत्तराखंड)
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ईश्वर और मेरी आस्था स्पर्धा विशेष…..

ईश्वर सत्य,आस्था झूठी
आत्म कहें,कर्मों में त्रुटि,
शब्द भेद और सार नहीं
आत्म बेचारी वर्णों से रुठी।

अनगढ़ पढ़-पढ़ पुष्प चढे
आत्म सरल न स्वयं पढ़े,
पोथी का यहां मोल हजारों
आत्म आगे कर्मों के झूठी।

आस्था,फकीर लकीरी
पाछे ईश्वर,शब्द मजबूरी,
पोथी पढ़-पढ़ ध्यान करें
आत्म बेचारी धर्मों में टूटी।

शब्द गुरु यहां सार बढ़ा आत्मगुरु
किया यहां अपमान खड़ा,
आत्म परमं,आत्म ही ईश्वर
आत्म पाछे कर्मों में छूटीं।

ईश्वर सत्य,आस्था झूठी
शब्द सार रहे अक्सर त्रुटि।
मौन-गोन में बसते परमं ब्रह्म,
आत्मा बेचारी धर्मों में टूटी॥

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