एल.सी.जैदिया ‘जैदि’
बीकानेर (राजस्थान)
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बे’सबब करने लगे लोग अदावत हमसे,
कल तक सीखी,जिसने शराफत हमसे।
कोई खास नही दरख्व़ास्त उनसे हमारी,
वो आज मगर क्यूं करते बगावत हमसे।
कदम चार हैसियत से कम जरुर थे हम,
दो कदम आगे हुऐ तो,हुए आहत हमसे।
ये कैसी हो गई जलन जमाने को दोस्तों,
आज लगी होने उनको शिक़ायत हमसे।
शबो-रोज जीते रहे,मौजों की मस्ती में,
झुके सर ऐसी न हुई कोई शरारत हमसे।
हर पल हर हाल खामोश रहे सदा ‘जैदि’,
खुले न जुबां,रखते हैं लोग चाहत हमसे॥