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ऐ भारत के वीर सपूत

डॉ. विद्या ‘सौम्य’
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
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शूरवीर भारतीय सेना (विजय दिवस विशेष)…

नमन है अश्रुपूरित नयनों से, ऐ भारत के शूरवीर,
तेरी अमर शहादत पर, रोता अम्बर, नदियों का नीर।

आज ‘विजय दिवस’ की बेला में, धरती भी हर्षाई है,
शौर्य-सूर्य की किरणें देखो, हर दिशा में छाई हैं
तूने लहू से सींची माटी, जो चंदन-सा महक रहा है,
तेरे अदम्य साहस के आगे, पर्वत भी चमक रहा है,
मातृभूमि की वेदी पर, तूने हँसकर प्राण गंवाए,
माँ भारती के चरणों में, अपना जीवन पुष्प चढ़ाए।
नमन है अश्रुपूरित नयनों से…॥

कदम-कदम पर मौत खड़ी थी, पर मन में विश्वास अटल था,
हिमगिरि-सा संकल्प तुम्हारा, माथे पर बंधा कफ़न था
सोलह दिसंबर था साल इकहत्तर, वो रणभूमि, वो भयंकर युद्ध,
तिरंगा ऊँचा लहराया, डिगे रहे कदम शत्रुओं के विरुद्ध
सरहद की ठंडी रातों में, तूने जो कष्ट उठाए थे,
देश की सुखद सुबह की खातिर, अपने सुख बिसराए थे।
नमन है अश्रुपूरित नयनों से…॥

वो घर की कच्ची दीवारें, अब भी तुझे बुलाती हैं,
तेरी चिट्ठी की वो यादें, माँ को बहुत रुलाती हैं
तेरी अर्थी जब निकली तो, फूल नहीं दिल टूटे थे,
ऐसा लगा कि अम्बर से, चाँद-तारे सब छूटे थे।
कोटि-कोटि भारतवासियों का, तुझको शत-शत वंदन है,
तेरी कुर्बानियों की रज, हम सबके लिए चंदन है।
नमन है अश्रुपूरित नयनों से…॥