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औरतें… कई बार

सीमा जैन ‘निसर्ग’
खड़गपुर (प.बंगाल)
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औरतें एक ही जीवन में कई बार मरती है,
फिर कुछ फर्ज याद कर यूँ ही जी उठती है।

घसीट-घसीट कर पैरों को दौड़ती-फिरती है,
मरी हुई काया से ऐसे बदला निकालती है।

धीरे-धीरे अपनी खुशी को मारती जाती है,
कुछ इस तरह अपनी ज़िन्दगी गुजारती है।

खुद के लिए शिकायतें करना छोड़ देती है,
जो है जैसा है… मस्त रहने की कोशिश करती है।

अपने दुखों को सबसे छुपा कर रखती है,
जितना कष्ट हो… उतना ज्यादा मुस्कुराती है॥