सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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कर देती हैं पूर्ण समर्पण
नहीं कामना प्रतिफल की,
करतीं हैं स्वीकार चुनौती
लिखें कहानी प्रतिपल की।
नभ, थल चाहे गहरा सागर
बढ़ कर उसको नाप लिया,
देश की नेता बनीं बेटियाँ
राजनीति स्वीकार किया।
तोड़ पुराने बंधन उसने
ख़ुद्दारी को मोल लिया,
आगे-आगे कदम बढ़ाने
कठिन परिश्रम खूब किया।
तूफ़ानों से लड़ना सीखा
सीमा पर ललकार दिया,
उनके घर में घुसकर मारा
बड़ा साहसी काम किया।
जमा दिया दुनिया में सिक्का
मेडल गोल्ड विजय पायी,
नहीं है मुश्किल काम कोई
विजयी बन भारत आयीं।
इतिहास मोड़ इतिहास लिखा
जंजीरों को तोड़ दिया,
गीत सदा संघर्ष का गाया
प्रगति मार्ग आबाद किया।
बेटी की क्या बात कहूँ मैं,
ये तो पूँजी जीवन की।
जिस घर में बेटी है जन्मी,
नूर बेटियाँ उस घर की॥
