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कलम के जादूगर

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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हर कहानी उपन्यास में,सरल सुगम भाषा,
‘हिंदी उर्दू मिलन’ को मिली,थी एक नई आशा।
सजीव चित्रण ने बनाया,उन्हें ‘कहानी सम्राट’-
प्रत्येक पंक्ति में डाले प्राण,हो ख़ुशी या निराशा॥

प्रत्येक पात्र हो जैसे कहीं,जमीन से जुड़ा हुआ,
भावनाओं,और वास्तविकता से,मानो हो जड़ा हुआ।
स्त्री मन के रहस्य या हों,लड़कपन के खेल-
हर रिश्ता कागज़ पर उतारा,बच्चा या बड़ा हुआ।

आज़ादी आंदोलन और रुढ़ियाँ,या मन के अंतर्द्वंद,
गाँव वालों की फाँकाकशी या हो,लाटसाहब के दँद-फंद।
हर पन्ना किताब का जिन्दगी की,कहानी सुनाता हुआ-
ऐसे थे वह ‘कलम के जादूगर’ कहलाते मुंशी प्रेमचंद॥

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