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कवि ही कर सकता है आकाश छूने की बात-पं. सत्तन

विमोचन-सम्मान…

इंदौर (मप्र)।

कवि ब्रह्मा हो जाता है, जब वह नई ऋचाएं रचता है। सृष्टि सृजन से प्रलय तलक मानव उसको पढ़ता है। आकाश छूने की बात कोई कवि ही कर सकता है। साहित्य अथाह सागर है तो कवि करुणा का सागर होता है।
मालवांचल के सुप्रसिद्ध कवि पंडित श्रीधर जोशी की चतुर्थ पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित सम्मान एवं वरिष्ठ कवि धीरेंद्र जोशी के काव्य संग्रह ‘छू लो तुम आकाश’ के विमोचन समारोह में राष्ट्रकवि सत्यनारायण ‘सत्तन’ ने मुख्य अतिथि के रूप में यह विचार व्यक्त किए।
अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि नरेंद्र मंडलोई ने कहा कि श्रीधर जी जोशी मानवीय संवेदनाओं के कवि थे। उनके सुपुत्र धीरेंद्र जोशी भी उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। विशेष अतिथि उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी मप्र के निदेशक जयंत भिसे ने कहा कि परिवार से मिलने वाले संस्कार हमें जीवन में हर क्षेत्र में आगे बढ़ने में मदद करते हैं। कार्यक्रम में साहित्यकार डॉ. पद्मा सिंह को ‘मालव मयूर सम्मान’ से सम्मानित किया गया। श्रीमती ललिता जोशी ने अतिथियों का स्वागत किया। विमोचित पुस्तक की समीक्षा साहित्यकार डॉ. दीपा व्यास ने की।

धीरेंद्र कुमार जोशी ने अपनी कविताओं के मधुर पाठ के साथ भावनामय संबोधन दिया। कार्यक्रम में साहित्य जगत से हरेराम वाजपेई , प्रदीप नवीन, रामलाल प्रजापति, सुखप्रीत सिंह सुखी, किरण भावसार आदि उपस्थित रहे। अतिथि परिचय साहित्यकार मुकेश तिवारी ने दिया। संचालन सुषमा दुबे ने किया। आभार प्रदर्शन शैलेंद्र जोशी ने किया।

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