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कवि हृदय

बबीता प्रजापति 
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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संवेदना है,
वेदना है
शब्दों की बौछार है,
कवि हृदय को सदा-सर्वदा
शब्दों से ही प्यार है।

प्रेम है,
हृदय है
सो फूलों में पराग है,
जग में इनके बिना
विरक्ति है
वैराग है…।

स्वप्न है,
कल्पना है
इनका अपना लोक है,
जग में बाहर क्या धरा ?
दु:ख है या शोक है…।

गहन निशा हो,
या साँझ हो
सब इनको स्वीकार है।
भोर का वंदन
ललाट चंदन,
प्रातः का उपहार है…॥