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कायापलट

डॉ.सोना सिंह 
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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दादी के घर में थे,
नानी के घर में थे
दादी सास के घर में थे,
सास भी लाई थी दहेज में
पतीले, डिब्बे, परात, तगारी,
कुछ पीतल के बर्तन।
साल में एक बार चमकती थी
किस्मत उन सभी की।
जब गली में सुनाई देती थी आवाज,
कलई करा लो…
आवाज पर आँगन में लग जाता
बर्तनों का ढेर।
लगाकर जलाकर कोयला,
वो पंखा करता जाता
और छोटे से चाँदी जैसे तार से,
बर्तन को चमकाकर
डाल देता पानी में।
छन्न की आवाज से पानी में,
बुलबुले उठते जाते थे।
और हो जाती थी,
पुराने बर्तनों की कायापलट॥

परिचय-डॉ.सोना सिंह का बसेरा मध्यप्रदेश के इंदौर में हैL संप्रति से आप देवी अहिल्या विश्वविद्यालय,इन्दौर के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला में व्याख्याता के रूप में कार्यरत हैंL यहां की विभागाध्यक्ष डॉ.सिंह की रचनाओं का इंदौर से दिल्ली तक की पत्रिकाओं एवं दैनिक पत्रों में समय-समय पर आलेख,कविता तथा शोध पत्रों के रूप में प्रकाशन हो चुका है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के भारतेन्दु हरिशचंद्र राष्ट्रीय पुरस्कार से आप सम्मानित (पुस्तक-विकास संचार एवं अवधारणाएँ) हैं। आपने यूनीसेफ के लिए पुस्तक `जिंदगी जिंदाबाद` का सम्पादन भी किया है। व्यवहारिक और प्रायोगिक पत्रकारिता की पक्षधर,शोध निदेशक एवं व्यवहार कुशल डॉ.सिंह के ४० से अधिक शोध पत्रों का प्रकाशन,२०० समीक्षा आलेख तथा ५ पुस्तकों का लेखन-प्रकाशन हुआ है। जीवन की अनुभूतियों सहित प्रेम,सौंदर्य को देखना,उन सभी को पाठकों तक पहुंचाना और अपने स्तर पर साहित्य और भाषा की सेवा करना ही आपकी लेखनी का उद्देश्य है।

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