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काव्य गोष्ठी में ५ घंटे तक गूँजे माता रानी के जयकारे

सोनीपत (हरियाणा)।

हिन्दी भाषा, सनातन संस्कृति एवं सद साहित्य हेतु कृत संकल्पित कल्पकथा साहित्य संस्था परिवार द्वारा २१६वीं कल्पकथा साप्ताहिक आभासी काव्य संध्या माता रानी पर आयोजित की गई। गोष्ठी ५ घंटे तक माता की जयकार से सम्मोहित होती रही।
संस्था की संवाद प्रभारी ज्योति राघव सिंह ने बताया, कि पाँच घंटे से अधिक समय तक चले कार्यक्रम की अध्यक्षता इटावा से विद्वान साहित्यकार भगवानदास शर्मा प्रशांत ने की, जबकि नागपुर से श्रीमती मेघा अग्रवाल ने मुख्य अतिथि का पदभार सम्हाला। आशु कवि भास्कर सिंह ‘माणिक’ के मंच संचालन में आयोजन का शुभारंभ विजय रघुनाथराव डांगे द्वारा संगीतमय सरस्वती वंदना के साथ किया गया। उसके बाद तो मानों स्वर प्रवाहों को बहते हुए जल की तरह दिशा मिल गई। नवदुर्गा के ९ रूपों व आदिशक्ति भगवती माँ जगदम्बा के विविध स्वरूपों को नमन करते हुए देश-विदेश से जुड़े कलमकारों ने समूचा परिदृश्य भक्ति के रंगों से सजा दिया। डॉ. श्याम बिहारी मिश्र ने अनुग्रह याचना रचना में अम्बे माता को प्रार्थना करते हुए कहा “हे आदिशक्ति अम्बे इस जग का सारा शोक बिदारें।”
अमित पण्डा ‘अमिट रोशनाई’ ने जगदम्बे मईया की आरती करते हुए “जय अम्बे माँ जगदम्बे माँ करूं आरती तेरी, माँग रहा हूँ दर पर तेरे भर दे झोली मेरी” स्वरबद्ध गाया।श्री डांगे ने मातृ वंदना में “नवरात्रि की आई बहार आरती पूजन माँ, नौ दिन नौरूप माता भजन और भक्ति माँ” वंदन गीत से माता रानी की प्रार्थना की, तो डॉ. अंजू सेमवाल ने “जगजननी हे शेरावाली द्वार तेरे मैं आई हूँ, नथनी झुमके हार और साड़ी भेंट प्रेम से लाई हूँ” की शाब्दिक भेंट से मईया को श्रृंगार अर्पित किया। डॉ. मंजू शकुन खरे ने शक्ति आराधना में “शक्ति के विद्युत कण जो बिखरे अखिल ब्रह्मांड में, उपासना हैं सभी माँ तेरे ही आगार में” के विशेष भाव को स्वर दिया।
सुनील कुमार खुराना, संपत्ति चौरे ‘स्वाति’, डॉ. शशि जायसवाल, अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत, प्रमोद पटले, रमेश चंद्रा गौतम, रेनू शर्मा, मेघा अग्रवाल, ‘माणिक’, राधाश्री शर्मा व पवनेश मिश्र आदि ने माँ दुर्गा की वंदना की।
अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री शर्मा ने सभी कलमकारों की श्रद्धा की सराहना करते हुए समग्र परिदृश्य पर सारगर्भित विचार व्यक्त किए। मेघा अग्रवाल ने गोष्ठी में देश-विदेश से जुड़े साहित्यकारों की गरिमामय उपस्थिति का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कार्यक्रम को अनेकता में एकता का सफल आयोजन बताया। संस्थापक राधाश्री शर्मा ने सभी सहभागी सृजनकारों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि हमारे वैदिक मंत्र सार्वभौमिक आध्यात्मिक ऊर्जा से चेतना का संपर्क सूत्र होते हैं, इनका सदुद्देश्यपूर्ण पाठ आत्मा और परमात्मा के मध्य सीधा संबंध स्थापित करता है।