कुल पृष्ठ दर्शन : 7

You are currently viewing कुछ भी हो, जीवित रहो

कुछ भी हो, जीवित रहो

संजय एम. वासनिक
मुम्बई (महाराष्ट्र)
*************************************

बूढ़ा होना, बीमार होना,
और मरना एक ही बात है
जो कुछ भी हो, जीवित रहो,
अगर तुम्हें जीना है
तो मृत्यु से पहले मत मरना,
खुद को मत खो देना
उम्मीद को मत खो देना,
दिशा को मत खो देना।

किसी को नीची नज़र से ना देखना,
भेदभाव न करना
खुद से, अपने समाज से,
एक व्यक्ति या कई व्यक्तियों का
द्वेष करना या अपमान करना,
यह प्रत्येक व्यक्ति के
कर्म पर निर्भर करता है।

अपने शरीर की
हर कोशिका से,
अपनी त्वचा के
हर रोम से जीवित रहना है,
इसलिए जीवित रहो
कि तुम्हें सीखना है,
अध्ययन करना है
सोचना है, पढ़ाना है,
तो पढ़ाओ, कुछ बनो
कुछ बनाओ,
आविष्कार करो
रचनात्मक बनो,
बोलो, सीखो
लिखो, सपने देखो,
निर्माण करो
लेकिन जीवित रहो।

अपने भीतर जीवित रहो,
बाहर भी जीवित रहो
दुनिया के रंगों से,
अपने-आपको भरो
शांति से अपने-आपको भरो,
आशा से अपने-आपको भरो
खुशी से जीवित रहो।

ज़िंदगी में सिर्फ एक ही चीज़ है,
जिसे तुम्हें व्यर्थ नहीं करना चाहिए
और वो है खुद ज़िंदगी…।
जिसे जीना आया,
वही ज़िंदगी में सफल हो पाया॥