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कृषि मंत्रालय में कोई भी काम हिन्दी में नहीं

शिकायत…..

प्रति,
सचिव,
राजभाषा विभाग,
भारत सरकार
(नई दिल्ली)

प्रति,
सचिव,
राजभाषा विभाग,
भारत सरकार
(नई दिल्ली)

संदर्भ-लोक शिकायत सं.-डीओएएसी/ई/२०२०/ ३७५७७ दिनांक ३० सितंबर २०२० और अनेक अनुस्मारक।

विषय-कृषि मंत्रालय में कोई भी काम हिन्दी में नहीं किया जाता है, लोक शिकायतों पर कार्रवाई नहीं की जाती है।

महोदय,

मेरे जिला रायसेन के किसी भी किसान को अंग्रेजी का ज्ञान नहीं है, यह शिकायत देश के करोड़ों किसानों की ओर से की जा रही है-
१. कृषि मंत्रालय की वेबसाइट पर सभी सूचनाएँ व समाचार केवल अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध करवाए गए हैं, कृपया इन्हें हिन्दी में उपलब्ध करवा दीजिए ताकि हम गाँवों में रहने वाले व किसान भाई भी इनका उपयोग कर सकें, अंग्रेजी में होने से किसान भाई कोई भी सूचना का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।
२. कृषि मंत्रालय के अंग्रेजी अधिकारी हम भारतवासी ग्रामीणों व किसानों पर अंग्रेजी थोप रहे हैं और ये लोग चाहते ही नहीं हैं कि मंत्रालय की कोई भी योजना व जानकारी किसानों तक हिन्दी में पहुँचे।
३. मंत्रालय की हिन्दी वेबसाइट पर १०० प्रश पीडीएफ फाइलें अंग्रेजी में हैं, किसानों की आय दोगुनी कर रहे हैं वह भी १०० प्रश अंग्रेजी में। भारत के किस राज्य के किसान अंग्रेजी जानते हैं, कृपया बताइए।
४. हिंदी वेबसाइट पर हाल में पारित कृषि विधेयक भी हिन्दी में नहीं डाले गए हैं। विधेयक संबंधी समाचार भी केवल अंग्रेजी में जारी किया गया।
५. न्यूनतम समर्थन मूल्य का पता नहीं क्यों बार-२ केवल अंग्रेजी में ही बोला जाता है, लिखा जाता है, हिन्दी में बोलने-लिखने में क्या परेशानी है।
६. प्रमं फसल बीमा और ई-नाम ये दोनों वेबसाइट केवल दिखावे के लिए हिन्दी व अन्य भारतीय भाषाओं में बनाई गई हैं क्योंकि इनके विकल्प व जानकारियाँ ८०-९० प्रश अंग्रेजी में ही हैं।
७. फसल बीमा पालिसी व इसके दावा पत्र आदि १०० प्रश अंग्रेजी में भेजे जाते हैं, ई-मेल व एसएमएस अंग्रेजी में भेजे जाते हैं जिन्हें किसान भाई न तो पढ़ पाते हैं, न समझ पाते हैं।
८. फसल बीमा कंपनियों के अधिकारी अंग्रेजी के माध्यम से किसानों को परेशान करते हैं, किसान न अंग्रेजी पढ़ पाता है न समझ पाता है फिर बीमा अंग्रेजी में क्यों।
९. कृषि मंत्री जी, इससे ऐसा लगता है कृषि मंत्रालय के उच्चाधिकारी चाहते ही नहीं है कि देश के किसानों का भला हो, यदि वे सचमुच किसानों का भला चाहते तो मंत्रालय का कामकाज हिन्दी में हो रहा होता और सभी योजनाएँ, समाचार व सूचनाएँ देश की भाषाओं में जारी की जातीं और लाखों किसान आत्महत्या न करते।
१०. कृषि मंत्रालय की वेबसाइटें व ऑनलाइन सेवाएँ अंग्रेजी में बनाकर सरकारी धन बर्बाद किया जा रहा है, पर ये सेवाएँ किसानों के काम नहीं आ रही हैं।
११. अंग्रेजी अखबारों व अंग्रेजी चैनलों में किसानों के विज्ञापन देकर सरकारी धन बर्बाद किया जा रहा है।

संविधान के अनुच्छेद ३४३ और राजभाषा अधिनियम का पालन करने के लिए बाध्य किया जाए, अथवा कृषि मंत्रालय में किसानों का दु:ख-दर्द समझने वाले भारतीय भाषा माध्यम से पढ़कर आए लोगों को नियुक्त किया जाए।

                                                                                    निवेदक
अभिषेक कुमार
रायसेन (मध्यप्रदेश)
(सौजन्य:वैश्विक हिन्दी सम्मेलन, मुम्बई)

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