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कैसा ताना-बाना ?

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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समय को बांधने का,
प्रयास जारी है
सफलता दूर-दूर तक,
दिख रही भारी है।

अच्छी-अच्छी बातें,
कर रहे हैं लोग
सच्चाई कुछ और ही,
दिख रही है चारों ओर।

वक्त को लोग समझाने में,
शिद्दत से लगे हुए हैं
वक्त पर साथ चलने से,
फिर परहेज़ क्यों कर रहे हैं ?

अच्छी और सच्ची योजनाएं,
यहां बनाईं जा रही है
कुछ लोग कमियाँ निकालकर,
इसकी कमजोरियाँ
मजबूती से गिनाई जा रही है।

अच्छे और सच्चे मन से,
कौन करेगा यहां सुन्दर व स्नेहिल
व्यवहार का सत्कार यहां।
सब मिलकर बस,
अच्छाईयों पर करते रहते हैं प्रहार यहां।

सामाजिक रंग बड़ा निराला है,
सामाजिक समरसता पर
खूब खामियाँ निकाली जाती है,
यह समाज का कैसा,
जड़ों से जुड़ा ताना-बाना है ?
जिसमें प्यार और स्नेह का,
नहीं दिखता कहीं कोई तराना है।

लोग यहां अपनी फिराक में,
सदैव निष्ठा से लगे हुए रहते हैं
सामाजिक समरसता और प्यार पर,
कभी गम्भीरता से विचार
नहीं करते हुए दिखते हैं।

आओ हम-सब मिलकर,
सामाजिक समरसता के लिए
समाज में बदलाव के लिए,
आरम्भ किए उन्नत प्रयास पर,
गम्भीरता से विचार करें।
सामाजिक ताने-बाने से,
इसे बदबूदार बनाने से
दृढ़ता से परहेज़ करें॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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