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कैसे मिटे अभाव

बबीता प्रजापति ‘वाणी’
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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कहाँ गया प्रेम हृदय का,
कहाँ गए वो भाव
ह्रदय अब रिक्त हो चला,
कैसे मिटे अभाव ?

अब पीड़ा भी अन्तस की,
मौन समाधि ले रही
कौन सुनेगा हरि सिवा,
हृदय की व्याधि असहनीय हुई
नाते जीवन में अनेक हैं
नहीं किसी में भाव।
हृदय अब रिक्त हो चला,
कैसे मिटे अभाव…॥

धन ही जीवन हुआ,
प्रेम किनारे पे पड़ा
आत्मीयता सहानुभूति बस,
शब्दों का दोहराव।
हृदय अब रिक्त हो चला,
कैसे मिटे अभाव…॥

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