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कौन किसी का दीप जलाए!

कपिल देव अग्रवाल
बड़ौदा (गुजरात)
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अपनी अपनी धुन है सबको,
कौन किसी का साथ निभाए ?
अपना-अपना सिर कांधे पर,
कौन किसी का बोझ उठाए ? बोझ उठाए!

ताश महल पर बैठा ज्ञानी,
वेद, पुराण, कुरान सुनाए
राह भटकता कोई राही,
ज्यों मंजिल की राह दिखाए
अपनी खबर नहीं औरों को,
स्वर्ग गली की राह बताए, राह बताए।

धर्म अधर्म मर्म नहीं जानें,
पाप-पुण्य का भेद बताए
अभी समंदर खोज न देखा,
अगम ब्रह्म की बात बताए
अनबूझी लहरों का मांझी,
जाने किस पर नाव डुबाए, नाव डुबाए।
कौन किसी का दीप जलाए॥