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क्या खोया, क्या पाया…

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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अखण्ड ब्रह्माण्ड में विद्यमान,
कलाकार वह बड़ा ऊर्जावान
अनेक नाम हैं उसकी पहचान,
अनुभव में है वह श्रद्धावान।

जो विगत में की नेक कामना,
उससे मिले सम्मान, न हो भावना
सम्मान बड़ों का, यह हो साधना,
छोटों को बस सदा प्यार बाँटना।

इस वर्ष रहा प्रभु का वरदान,
दे सकी साहित्य में योगदान
छवि बन रही है अब पहचान,
मेरे सपनों का यह आसमान।

जीवन में कुछ रूठ गए, माना,
कुछ हमें छोड़ गए, यह भी माना
कुछ त्रुटियाँ हमसे हुई, सच माना,
पर सुधर जाने की है संभावना।

बीत रहे वर्ष से हमें है कुछ सीखना,
भविष्य में वह भूल फिर नहीं करना।
जीवन में उपकार सदा करते रहना,
मानव जीवन का है यह श्रेष्ठ गहना॥