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क्षणभंगुर जीवन

संजय एम. वासनिक
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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अहमदाबाद विमान हादसा…

हवाई जहाज़ रन-वे पर सरक रहा था…
खिड़की के बाहर धीरे-धीरे,
सब पीछे छोड़े जा रहा था
शहर भी धीरे-धीरे छोटा होता जा रहा था
अंदर बैठे लोग कुछ पहली बार उड़ रहे थे,
कुछ हर रोज़ उड़ रहे थे…
सभी को एक अहसास था
“पहुंचकर फोन करूँगा”,
“मेरा इंतजार मत करना!”
किसी ने माँ को, किसी ने पत्नी को
किसी ने बेटी-बेटों को,
तो किसी ने ऑफ़िस के ग्रुप पर
टेक्स्ट किया था “जस्ट टेक ऑफ…”
तो कोई मन ही मन प्रार्थना कर था-
ईश्वर हमारी रक्षा करना,
सब कुछ ठीक हो जाए
कोई अपना मोबाईल बंद कर रहा था,
कोई होशियार बार-बार बताने के बाद भी
मोबाईल बंद करना तौहीन समझ रहा था,
ठीक उसी क्षण ‘काल’ अपनी विकराल योजना को अंजाम दे रहा था…।

कप्तान के माईक पर कुछ कहने से पहले,
एक बड़ा धमाका, अनेक दर्द भरी चीखें…
बहुत बड़ा आग का गोला और…
पलभर में सब-कुछ खत्म…
सब वही का वहीं रह गया,
सूटकेस, बक्से, मोबाईल, घड़ियॉं
पासपोर्ट और न जाने क्या-क्या ?
केवल नहीं थे, तो इंसान!
चारों ओर धुआँ, राख, मलबा,
और विमान के टुकड़ों के पीछे
अस्त-व्यस्त बिखरी लाशों के बीच
मदद की राह देखती एक नजर…।

उनके फोन पर भेजे गए कई मैसेज
अभी किसी ने पढ़े भी नहीं थे…
“कॉल मी व्हेन यू लैंड…”
‘मिस यू आलरेडी…’
‘टेक केयर…’ आदि-आदि…
कहाँ थी वो रोती हुई माँ,
कहाँ थे वो भ्रमित बच्चे,
कहाँ था वो कोई जो
फ़ोन कट जाने के बाद भी
कहता रहा ‘हैलो… हैलो ?..!

कोई भी यह तय नहीं करता कि
आखिरी मैसेज क्या होगा ?
आखिरी आलिंगन क्या होगा,
आखिरी शब्द क्या होगा…!
आज जो लोग चले गए,
उनकी हँसी की गूँज
उनकी बातें, उनकी शरारतें
उनकी नसीहतें और ना जाने क्या- क्या ?
आज भी किसी की यादों में ज़िंदा है
उनके सपने, आवाज़ें, मानवता
जो वे पीछे छोड़ गए ….
सब हमें एक ही बात बताते हैं…
“जीवन क्षणभंगुर है…”
इसलिए हर पल को जियो,
प्यार से, क्षमा से और पूरे दिल से।”

मृत्यु अवश्यंभावी है…
पर जब तक वह न आ जाए,
मृत्यु के बिना जीना,
यही सच्चा जीवन है
विनम्र श्रद्धांजलि उन सभी आत्माओं को,
जिन्होंने विमान हादसे में अपनी जान गँवा दी
विनम्र एवं भावपूर्ण श्रद्धांजलि
उन लोगों को।
जो आज समय की धारा में,
अचानक ना जाने कहाँ खो गए…॥