कुल पृष्ठ दर्शन : 186

You are currently viewing खत…इंतजार

खत…इंतजार

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

****************************************

क्या होते थे उस समय के,
खत हमारे और तुम्हारे लिए
पर समय परिवर्तन ने किया,
कुछ इस तरह का खेल
बंद होने लगा पत्रों को,
लिखने का वो दौर
क्योंकि आ गए हैं अब,
संचार के नए उपकरण
जिसके कारण स्नेह-प्रेमभाव,
और आत्मीयता मिट रही है।

क्या दौर हुआ करता था,
जब दिल की बातें कहने
सुख-दु:ख और बातें बताने के लिए,
हाथ से खत लिखते थे
और लिखने से पहले,
बहुत सोचा करते थे
फिर सब समाचारों को,
क्रमश: खत में लिख पाते थे
और खत लिखते हुए,
उन्हें अपने करीब पाते थे।

खास बात तो ये होती थी,
कि लिखने और पाने वाले को
खत आने का इंतजार रहता था,
इसलिए डाकिए की प्रतीक्षा करते थे
और घर के अंदर-बाहर,
बार-बार आ के देखते थे।

खत को पाकर और पढ़कर,
जो चैन और सुकून मिलता था
उसे हम बयां नहीं कर सकते,
बस ख़त को दिल से लगाते थे
और उसे बार-बार पढ़कर,
करीब उनके पहुँच जाते थे
और अंतरमन से सोचते थे कि,
किस तरह का उत्तर दिया जाए।
जिससे हृदय प्रसन्न हो कर,
परिवार में खुशी छा जाए॥

परिचय– संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

Leave a Reply