पटना (बिहार)।
लघुकथा की जड़ें बहुत गहरी हैं, और सतीशराज पुष्करणा ने इसे मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई।
पटना के जगजीवन राम शोध संस्थान में शुक्रवार को लघु कथाकार डॉ. सतीशराज पुष्करणा की ५वीं पुण्यतिथि पर आयोजित स्मृति पर्व का उद्घाटन करते हुए यह बात बिहार विधान परिषद के उप सभापति डॉ. रामवचन राय ने कही। इस मौके पर लघुकथा पत्रिका ‘संरचना’ के अंक का लोकार्पण हुआ और देशभर के लघुकथाकारों ने रचनाएं पढ़ीं। संपादक डॉ. शिवनारायण ने डॉ. सतीशराज को लघुकथा आंदोलन का भारतेंदु हरिश्चंद्र बताया। राजभाषा विभाग के निदेशक सुमन कुमार ने कहा कि पुष्करणा जी रचनाकारों को भी दिशा देते थे। इस अवसर पर कई वक्ताओं ने उनके साहित्यिक योगदान की सराहना की, जिनमें डॉ. ध्रुव कुमार, डॉ. भगवती प्रसाद द्विवेदी, प्रो. अनिता राकेश और ममता मेहरोत्रा शामिल रहे।